Wednesday, October 19, 2011

मैं सोच रहा था ..

क्यों होता है .. कुछ इस तरह से .. कि लोग पहले तो बातों को हल्के से लेते हैं और खूब मजाक उड़ाया करते हैं .. फिर वे खुल कर प्रतिरोध करते हैं ..
और फिर ..
इससे भी आगे निकलकर कभी झगड़ा भी करने लगते हैं .. और फिर
उसके बाद .. फिर करते हैं ..
स्वीकारोक्ति ..
मैं सोच रहा था ..
कि ..
चलो .. जो भी हुआ .. अच्छा ही हुआ
कि ..
जो भी होना था पहले ही हो गया ..
अंत भला तो सब भला ..

मैं सोच रहा था ..



कि ..
अच्छे लगते हैं
मुझे
वे लोग
जो मेरा विरोध करते हैं ..
मैं सोच रहा था ..
शायद
इसलिये कि
वे बदले में .. दरअसल
अनजाने ही सही ..
मुझे
बता जातें हैं ..
मेरी गलतियां ..

मैं सोच रहा था ..

एक रात की बात है ..
वो बता रही थी – मैंने सपने मैं देखा था अपने-आप को .. कि मेरा वजूद .. जैसे मेरा अपना नहीं रह गया था .. लग रहा था कि जैसे टूट-टूट कर बिखर रहा हो ..
मेरे इस स्केच को देखकर वह हैरान थी और .. फिर पूछने लगी कि मैंने कब इसे बनाया था ..
मैंने बताया कि मेरा ये स्केच तो काफी पुराना था और ..
जिससे मेरी बातें हो रही थी .. फिर मैं उसे जानता भी तो नहीं था ..
यह इत्तेफाक था .. गहरा इत्तेफाक .. मैं सोच रहा था ..

Tuesday, October 4, 2011

.. मैं सोच रहा था ..

- आइने का सच वो क्या जाने जो अंधा है .. मैं सोच रहा था ..
- Time splits fast that one may realize one day that the life infact is too short than what was thought earlier .. मैं सोच रहा था ..
- No need to dwell in the past .. not to dream of future .. as both are not in your hands .. but realize the present and just concentrate and enjoy .. मैं सोच रहा था ..
- Never aim too low or too high but just aim at the exact .. never get disappointed or never get overwhelmed with joy .. मैं सोच रहा था ..
- Do you know that what you dream is just possible .. मैं सोच रहा था ..
- Just desire and act for only that .. you find useful .. मैं सोच रहा था ..
- You are recognised by your acts and not by your ideas .. मैं सोच रहा था ..

Wednesday, September 21, 2011

my books ..

मेरी किताबें (डा. जेएसबी नायडू) -
1. मैं सोच रहा था / काव्य संकलन / 2005
2. विश्वरंजन / व्यक्तित्व-शब्द-चित्रण / 2009
3. दुखहर्ता-सुखकर्ता / श्री गणेश के 32 स्वरूपों का वर्णन .. रेखांकनो के साथ व हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत में / लेखक द्वय – डा सुभाष अत्रे व डा. जेएसबी नायडू / 2010

Sunday, August 21, 2011

यह सही है कि सोचने से क्या होता है कि यह गलत है या फिर यह सही .. यह तो सब वक्त-वक्त की बात है .. यह सही है कि सोच पर किसी की सहमति सौभाग्य है .. और लेकिन यदि असहमति हो तो भी भला निराश क्यों होना .. क्योंकि यदि सोच में सचाई है तो आज नहीं तो कल वह अवश्य मान्य होगा .. लेकिन फिर भी यदि किसी की असहमति है तो उससे क्या कोई अभिव्यक्त करना छोड़ दे .. आवश्यकता इस बात की है कि सोच को अभिव्यक्त करना ही चाहिये .. यह सोच किसी को पसंद आ सकती है तो किसी को नहीं भी .. प्रकृति में अनेक रंग हैं किसी को अमुक रंग पसंद है तो किसी को अमुक .. सभी को एक ही रंग पसंद हो .. यह जरूरी तो नहीं ..
महत्वपूर्ण तो यह है कि आप कई लोगों को अपनी सोच की सकारात्मकता का लाभ देते हैं। आवश्यकता तो सोच को बदलने की है .. चिंतन की है। सोच को बदलने की दिशा में प्रयास स्वस्फूर्त होना चाहिये .. जोर-जबरदस्ती या बेमन से नहीं। अपनी बात को मनवाने के लिये आपको व्यापक संदर्भों में चिंतन करना होगा। एक दिन में कईयों की सोच को बदला नहीं जा सकता। सभी कुछ प्राकृतिक है .. बरसात फिर ठंड और गर्मी के बाद फिर से बरसात .. ये सभी स्थितियां अचानक और एक दिन में नहीं बदला करती। प्रकृति के नियमों को अनदेखा करके सोचना सार्थक प्रयास नहीं हो सकता। मीठा अच्छा लगता है लेकिन अत्यधिक मीठा खा लेने से मिठाई के लिये विरक्ति भाव पैदा हो जाता है। थोड़ा इंतजार करना जरूरी है। प्रकृति का नियम भी यही कहता है। जो कुछ भी घट रहा है वह सभी कुछ प्राकृतिक है और नया तो कुछ भी नहीं है। कहीं सूखा तो कहीं है - बाढ़ की त्रासदी .. यह तो प्रकृति का नियम है ..। फिर सही क्या है और गलत क्या है इसकी विवेचना करने से तो ज्यादा अच्छा है कि चिंतन करें कि कैसे कहीं सूखा और कैसे कहीं अतिवृष्टि पड़ने पर राहत का प्रयास करें। आप न तो अतिवृष्टि को रोक सकते हैं और न हीं आप सूखा को .. इस बात को भूलना कभी भी उचित नहीं होगा ..

Saturday, August 20, 2011

मैं सोच रहा था ..

यादें ..
आपसे कोई नहीं छीन नहीं सकता ..
सिवाय प्रकृति के ..
मैं सोच रहा था ..

Monday, August 8, 2011

मैं सोच रहा था ..

कुछ भी लिखने से तो अच्छा है कि जब लगे कि कुछ अच्छा है तो उसे लिख दिया .. मगर एक नहीं कई बार लगा है कि जिसे मैं यूं ही समझता रहा वह परिणाम स्वरुप अत्यंत प्रभावशाली अभिव्यक्ति रही .. अर्थात् जरूरी नहीं कि जिसे आप महत्वपूर्ण समझ रहे हों वह हर किसी को वैसा ही लगे .. मत भिन्नता .. इसी को तो कहते हैं .. लेकिन यह वाकिफ होते हुए भी कि मत भिन्नता होती है .. सभी-कुछ जैसे अपरिहार्य़ हो जाता है .. कभी-कभी .. मैं सोच रहा था ..

Monday, July 4, 2011

मैं सोच रहा था ..

मैं उपर वाले का तहे दिल से .. प्रत्येक पल के लिये .. शुक्रिया इसलिये अदा करना चाहता हूं कि उसने अभी तलक ऐसा कोई तरकीब किसी इंसान के दिमाग में नहीं दी कि कोई दूसरा यह जान सके कि मैं किसी के बारे में क्या सोच रहा हूं .. इसलिये तो मैं कहता हूं कि .. मुझे तो किसी भी आत्म कथा में पूर्णता नहीं दिखलाई पड़ती .. और ऐसा कहने के लिये .. मैं उनसे क्षमा मांगता हूं .. उनसे .. जो दावा करते हैं कि वे साफ-साफ दिल की सचाई लिख देने के हिमायती हैं ..

मैं सोच रहा था ..

(1) जब आप कुछ लिखें और फिर कुछ दिनो बाद .. जब अपने ही लिखे को .. फिर से पढ़ें और तब .. यदि आपको लगे कि उसमे किसी भी सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है .. तब समझो कि चिंतन की दिशा व अभिव्यक्ति सही है .. मैं सोच रहा था ..
(2) Mistake एक शब्द है और relations एक dictionary .. एक शब्द के लिये पूरी की पूरी dictionary कोई कैसे छोड़ सकता है .. मैं सोच रहा था ..

Sunday, July 3, 2011

मैं सोच रहा था ..

(01) सफलता और प्रशंसा .. का नशा .. उन पर सिर चढ़कर बोल रहा था .. वे आत्स्तुति कर रहे थे .. वे कह रहे थे कि वे नहीं जानते कि नशा क्या है .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..
(02) कोई एक पत्थर / कहीं यूं ही पड़ा हुआ था / एक दिन, उसे उठाकर / किसी ने पूजना शुरू कर दिया / मैं देख रहा था / मुझे जलन भी हो रहा थी / मैं सोच रहा था / वक्त-वक्त की बात थी / बात किस्मत की थी / कि / पत्थर के दिन भी पलटते हैं ..
(03) अल्प-विराम ही .. लेकिन .. दे जाती है छोटी सी कील .. रफ्तार को .. मैं पंक्चर बनवा रहा था .. मैं सोच रहा था ..
(04) Oxygen is an essential most .. Hydrogen is considered as a power .. and .. H2 + O2 = H2O .. H2O means WATER .. water means flexibility and adjustment and POWER also .. मैं सोच रहा था ..
(05) कोई लेख हो .. कोई रेखा हो .. कोई रंग हो .. कोई चित्र हो .. कोई धुन हो .. कोई आवाज हो .. कोई दृष्य हो .. कोई व्यक्ति हो .. कोई वक्तव्य हो .. कोई अभिव्यक्ति हो .. यदि .. कोई भी .. कभी भी .. आपकी सारी प्राथमिकताओं को परे ढकेल दे तो .. मैं सोच रहा था .. इससे शक्तिशाली .. क्या कोई चिंतन .. उस वक्त .. हो सकता है ..
(06) स्थिति मुफलिसी की थी / स्थिति चिंतन की थी / इसलिये .. स्थिति चिंताजनक थी / मैं सोच रहा था ..

Thursday, June 23, 2011

कुछ समझ नहीं आ रहा कि ..

कुछ समझ नहीं आ रहा कि .. बात तो केवल बात है कि या फिर बात वक्त की है कि हम रंग से प्रभावित है या फिर रेखा या शब्द .. हमारे चिंतन पर कौन कब्जा किये हुए हैं .. मैं सोच रहा था ..

Sunday, June 19, 2011

लोग .. क्यों मुझसे ..

यह कतई संभव नहीं है कि जि़दगी का हर मौसम सुहाना ही हो .. हर साल .. हर महीना .. हर सप्ताह .. हर दिन .. हर घंटे .. हर पल .. कोई अभूतपूर्व व सुंदर हो और यादगार या बेमिसाल हो .. तो फिर .. मुझे यह समझ नहीं आता .. कि .. लोग .. क्यों मुझसे .. ये अपेक्षा करते हैं कि .. मैं कैनवास पर जो कुछ भी बनाउंगा .. वह लाजवाब ही होगा ..

कभी .. किसी पल ..

कभी .. किसी पल .. जब कुछ भी याद आता है .. इस तरह से लिख देता हूं -
- किताब में कोई स्केच या रेखांकन अथवा फिर कोई अन्य फोटो या रेखात्मक अभिव्यक्ति की कोई आवश्यकता नहीं है ..
- I am aware of .. the Newton’s Law of Gravitation .. BUT .. I am yet to understand .. audio-visual attraction ..
- कभी .. ऐसा भी होता है कि भ्रम की स्थिति .. अच्छी लगती है .. हकीकत से दिल परहेज करता है .. शायद इसलिये भी कि .. वास्तविकता कई बार . नहीं ,, कई कई बार लगा है .. कि किताब तो महज किताब है .. की प्रतिकूलता से .. मन वाकिफ होता है और इसलिये ऐसी किसी स्थिति से बचना चाहता है ..
- ये शब्द-संकलन है .. या फिर आइना है .. वक्त के किसी हिस्से का .. मैं सोच रहा था ..
- क्या फिर से .. मैं रेखाओं और रंगो के करीब आ रहा हूं .. चाहे इस बात में कितनी भी सचाई हो लेकिन .. यह तो तय है और सच है .. कि मैं रेखा और रंग के कारण ही जाना जाता हूं ..

Monday, June 6, 2011

तब दर्द .. दिल में होता है .. याद करके ..

जब कहीं कुछ खो जाता है .. फिर .. वजह .. चाहे कुछ भी हो .. तो .. दुख का होना स्वभाविक है और .. फिर यह उस घाव की तरह होता है जो शुरू में तो दर्द करता है लेकिन समय के साथ-साथ फिर जब क्रमशः घाव भरने लरता है तो दर्द भी .. धिरे-धिरे गायब होने लगता है .. कालांतर में .. चोट के निशान .. कभी याद दिलाते हैं तब दर्द .. दिल में होता है .. याद करके ..

Sunday, June 5, 2011

मैं सोच रहा था ..

शारीरिक अपंगता – कहीं सचाई हो सकती है .. लेकिन .. मैं सोच रहा था .. सचाई को वैसा का वैसा ही कह देने से ज्यादा अच्छा है कि उसे इस तरह से अभिव्यक्त किया जाय – शारीरिक अपूर्णता की स्थिति ..

मैं सोच रहा था ..

चिड़ियों का चहचहाना ..
और ..
कोयल की कूक ..
किसे अच्छी नहीं लगती होगी ..

मैं सोच रहा था ..

यह भी ..

गुरू जी कक्षा में पढ़ा रहे थे – कल जो करना है .. उसे आज और आज जो करना है .. बच्चों .. उसे अभी करना चाहिये .. । एक बच्चा उठा और कक्षा के बाहर जाने लगा । गुरू जी ने उससे बाहर जाने का कारण पूछा – बच्चे ने जवाब दिया – गुरू जी .. गुरू जी .. आप ही ने तो अभी-अभी कहा था कि .. कल जो करना है .. उसे आज ही कर लेना चाहिये .. इसलिये मैं घर जा रहा हूं .. कल का खाना भी .. आज ही खा लेना चाहता हूं ..

Friday, June 3, 2011

कहावतें ..

कहावतें .. मुझे लगता है कि यूं ही प्रचलन में नहीं आई हैं .. सार्थकता के बिना लम्बे समय तक .. कहावतों का .. अस्तित्व में बने रहना या सामयिक रह पाना असंभव है ..

realization - well in time ..

चलो .. खैर .. अंततः मालूम तो पड़ गया .. ultimately realized ..
this is important but more important is that realization - well in time .. but better - before time ..

Tuesday, May 31, 2011

मैं .. रेखा और रंग के कारण ही जाना जाता हूं ..

क्या फिर से .. मैं रेखाओं और रंगो के करीब आ रहा हूं .. चाहे इस बात में कितनी भी सचाई हो लेकिन .. यह तो तय है और सच है .. कि मैं रेखा और रंग के कारण ही जाना जाता हूं ..

मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था .. broken toys and the lost pencils .. in the childhood .. were much .. much better than – broken hearts and lost friends .. today ..

Monday, May 23, 2011

शायद .. असंभव के करीब की स्थिति ..

साक्षात्कार में .. किसी मंच पर - सिद्धांतो की बातें करना .. आध्यात्म .. दर्शन .. सहानुभूति .. मानवता .. संवेदनशीलता .. जैसे विषयों पर बढ़चढ़ कर बोलना और यथार्थ में वैसा ही होना .. शायद .. असंभव के करीब की स्थिति है ..

विचारों की आवारागर्दी ..

विचारों की आवारागर्दी तो देखो कि - कभी-कभी सोच तो नहीं मालूम कहां-कहां चली जाती है .. ये तो अच्छा है कि कोई ये नहीं जान पाता कि मैं क्या सोच रहा हूं .. और ये बात मुझे गजब का सुकून देती है और मैं फिर से सोचने लग जाता हूं ..

Sunday, May 22, 2011

इर्द-गिर्द .. ऐसा भी ..

इर्द-गिर्द .. कुछ ऐसे भी लोग अनायास मिल ही जाते हैं .. जिन्हें आप किसी बात के लिये कोई महत्व दे दें या फिर किसी कारण विशेष के लिये आप उनकी प्रशंसा कर दें तो .. वे संभवतः किसी गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं और फिर उत्पन्न मानसिक विकार .. विकृत रूप लेकर आपको ही ये अहसास दिलाने की चेष्टा करने लगता है कि आप उसके सामने कुछ भी नहीं हैं .. किसी तुच्छ स्थिति का आभास दिलाते हुए .. फिर वे .. अधिकांशतः या तो वहीं रूक जाते हैं या फिर विकासोउन्मुख न होकर शनैः-शनैः पतन की दिशा में जाने लगते हैं ..

अप्रकाशित कविताएं ..

मेरी ऐसी ढेरों अप्रकाशित कविताएं हैं जिन्हें मैं ब्लाग मैं सहेज सकता हूं लेकिन ऐसा नहीं कर पाता हूं ..
I have such numerous unpublished poems that I do not blog but I find I can save ..

क्या कहूं ..

टेलिविजन पर
मैं
कोई
रास-लीला ..
देख रहा था ..
मैं सोच रहा था ..
कि .. जो मैं
किसी की तरफ देख भी लूं
तो
लोग
मुझे आवारा .. बेशरम .. लपूट .. चरित्रहीन ..
और न जाने .. क्या-क्या
कह देते हैं ..

Thursday, May 19, 2011

सेल-फोन / मोबाइल फोन .. अभी बंद है ..

मुझे इस बात पर दुख और आश्चर्य़ होता है कि .. कोई अपने मोबाइल फोन बंद रखता है । किसी आते अवसर से कहीं ज्यादा .. शायद उन्हें आराम पसंद है ..
कई सारे ख्वाब हैं मेरे अंदर .. और कुछ शब्दों में अभिव्यक्त हैं लेकिन सीधे-सीधे नहीं .. इसलिये नहीं कि मुझमें साहस नहीं है अभिव्यक्त करने का .. बल्कि इसलिये कि मेरे ऐसा करने से मेरे ख्वाब आहत हो सकते हैं .. मन से । मैं अपने अंदर की बात की प्रस्तुति के लिये .. रेखा और रंग का सहारा भी तो इसलिये नहीं ले सकता कि कोई समझ न जाये क्योंकि मेरे ऐसा करने से कोई सार्वजनिक हो सकता है .. जो मुझे भी और फिर शायद .. मेरे ख्वाबों को भी तो .. पसंद नहीं है ।

Saturday, April 30, 2011

मैं सोच रहा था ..

ज़िंदगी की
ये भी
एक हकीकत है ..
मैं सोच रहा था ..

बचपन के खेल ..

बचपन के खेल –
पिट्टूल .. कंचा .. बिल्लस .. और गिल्ली-डंडा ..
गाहे-बगाहे ..
याद आ जाते हैं ..

Thursday, April 28, 2011

कोशिश .. कि उसे भूल जाऊं ..

जो मैंने महसूस किया.. उसे लिख रहा हूं .. कि कई दफे कोशिश करके देख लिया कि उसे भूल जाऊं .. लेकिन यह भूल जाता हूं कि मुझे उसे भूलना है .. एक बात और भी है जो बताना नहीं भूलना चाहूंगा कि कई अरसा गुजर चुका है उसका नाम मैंने नहीं लिया है .. लेकिन वह है कि यादों में गहराई तलक समाहित है .. । एक बात है जो मुझे बहुत सुकून देती है कि यादों की कोई खिड़कियां नहीं होती कि कोई ताक-झांक कर ले ..

Wednesday, April 27, 2011

मुझे अच्छे नहीं लगते सपने ..

मैं सोना नहीं चाहता / इसलिये नहीं / कि .. इसमें वक्त जायज होता है / बल्कि / इसलिये कि / मुझे सपने आते हैं / और / सपने हकीकत नहीं होते / इसलिये तो कहता हूं कि / मुझे अच्छे नहीं लगते सपने ..

मैं सोच रहा था ..

विचारों का मंथन ..
मैं सोच रहा था ..
शब्द .. जहां पर्याप्त नहीं थे ..
वहां
फिर
तूलिका ने
साथ दिया ..

Monday, April 25, 2011

मैं सोच रहा था ..

रेखा और रंग .. समय के आघात से टूटकर कुछ इस तरह से इकट्ठे हो गये थे कि मजबूर होकर .. मैं सोच रहा था .. कि आखिर ये क्या संप्रेषित करना चाहते हैं ..

Sunday, April 24, 2011

मैं सोच रहा था ..

ऐसा भी होता है कि .. कुछ लिख रहा होता हूं .. या फिर .. कोई चित्र बना रहा होता हूं .. यादें चली आती हैं .. बिन बुलाये मेहमान की तरह .. स्वप्न में भी .. मैं सोच रहा था ..

रोज-रोज की बात ..

कि .. हर रोज (कई दफे)
कोशिश करके देख लिया कि
उसे भूल जाऊं
लेकिन
हर रोज (कई दफे)
यह भूल जाता हूं कि .. मुझे उसे भूलना है ..

भूलने का असफल प्रयास ..


a beautiful face
is
a
silent commendation ..
मैं सोच रहा था ..
पोट्रेट
बनाते हुए ..

Tuesday, April 19, 2011

एक कविता ..

प्राकृतिक जंगलों में ..
दुम दबाकर भागते

और
छुपते ..
wild animals .. को देखकर ..
मैं सोच रहा था ..
कि
वे .. शायद
शहरी कंक्रीट के
जंगलों के
representatives

के
wild behaviour

से
घबराये
हुए थे ..

इस चित्र की तरह ..

कई-कई जटिल स्थितियां .. गड्डमगड .. कुछ समझ नहीं आ रहा था .. इस चित्र की तरह ..
एक बात लेकिन गौर करने की है कि कई जटिल रेखाएं एक दूसरे से कुछ इस तरह से जुड़ी हैं कि जैसे कोई तारतम्य हो उनमें आपस में ..
कि जब किसी एक रेखा का रंग बदलने का प्रयास करो तो सारी रेखाएं एक साथ अपना रंग बदल देती हैं .. जैसे किसी दिशा में आगे बढ़ा कोई कदम .. किसी जटिलता के स्वरूप को बदल रहा हो ..

Saturday, April 16, 2011

अन्दर की बात ..

कभी .. कहीं .. लगता है कि जैसे शब्द अपर्याप्त हैं तो कभी ऐसा भी होता है कि रेखा और रंग अभिव्यक्ति की पूर्णता में सहायक प्रतीत नहीं होते .. फिर मैंने एक ही विषय पर .. शब्द रेखा और रंग .. सभी को मिलाकर देखा ..

मैंने सपने में देखा ..


कल ही की तो बात है .. मैंने सपने में देखा .. मछलियां हवा में उड़ रहीं थी और पक्षी पानी में तैर रहे थे ..

सपने में मुझे उड़ती मछलियों की संख्या कम दिखाई दीं और तैरते पक्षी ज्यादा दिखे थे ..

ये स्वप्न कैसा था कि पेड़ और पहाड़ .. वैसे के वैसे थे .. सुबह उठकर फिर मैंने इमानदारी से .. जो सपने में देखा था .. वो बना दिया ..

Wednesday, April 13, 2011


दिया जला .. दिया जला .. जगमग .. जगमग .. दिया जला .. अर्थात् अंधेरे में क्यों रहना .. ज्ञान के दिये जलाकर अज्ञानता का अंधेरा दूर करना जरूरी है .. । इसे विस्तृत अर्थो में लिया जाना चाहिये ..

मैं सोच रहा था ..


कोई कह रहा था - चिंता से चतुराई घटे .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था .. इसलिये चिंता नहीं चिंतन करना चाहिये ..

Tuesday, April 12, 2011

CONFUSION ..


यह चित्र दरअसल प्रतिबिंबित करता है .. state of mind को । किंकर्तव्यविमूढ़ .. चिंता .. और .. चिंतन की जटिल स्थिति का शायद परिणाम है - यह चित्रण । इसे नाम भी देना जरूरी था .. इसलिये नाम दिया है - CONFUSION ..

प्रयास .. ऐसा भी होता है ..


अंततः .. + - x / = zero .. यही लगता है .. कभी-कभी किसी दिशा में किया गया कोई प्रयास किसी गमले में लगाये किसी पेड़ की तरह होता है, जिसके फैलाव की एक सीमा होती है । ऐसी स्थिति किसी वृक्ष की तरह किसी को छांव नहीं दे सकती । फिर आप कई कोशिशें करते रहिये .. परिणाम एक ही आयेगा - अंततः .. + - x / = zero ..

Monday, April 11, 2011

मैं सोच रहा था ..


मेरे तो सपने देखने पर भी हंगामा खड़ा हो जाता है .. सपना तो सपना होता है .. जरूरी तो नहीं कि वह हकीकत में तब्दील हो .. मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था ..


Water is soft in nature and highly adjustable .. BUT .. this can not be underestimated .. and it can be disastrous .. e.g. SUNAMI .. मैं सोच रहा था ..

बहस ..

इंसान महत्वपूर्ण है .. लेकिन इंसानियत सर्वोपरि है .. इसे पढ़कर .. इस बात पर बहस छिड़ गई कि सर्वोपरि इंसान है या इंसानियत या स्वास्थय या वक्त .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था .. कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि किसी भी बहस में मुझे शामिल नहीं होना चाहिये ..

Sunday, April 3, 2011

कर्म महत्वपूर्ण है .. ज्योतिष कदापि नहीं ..

आने वाले कल का कोई केवल अंदाजा लगा सकता हैं .. कोई भी व्यक्ति भाग्य-विधाता तो नहीं है .. और फिर आप ज्योतिष तो अपने आपको कहियेगा ही मत .. क्योंकि ऐसा कहते ही आपसे मेरा विश्वास उठ जायगा । ज्योतिष के बताए हुए नुस्खे आपको किसी परेशानी से निजात दिला दें .. यह केवल इत्तेफाक हो सकता है .. केवल संयोग हो सकता है .. । ज्योतिष आपका भाग्य नहीं बदल सकता । कर्म महत्वपूर्ण है .. ज्योतिष कदापि नहीं .. ।

Saturday, March 19, 2011

संवेदनशीलता ..

श्री राहुल सिंह का ब्लाग देखता ही रहता हूं । उनका ब्लाग पढ़ना हमेशा ही अच्छा लगता है । शायद इसलिये भी कि वे हिंदी में लिखते हैं और संस्कृति के प्रति उनकी प्रतिक्रियात्मक संवेदनशीलता की भी मैं प्रशंसा करता हूं । मुझे प्रशंसा करना है .. ये इसलिये नहीं लिख रहा हूं । किसी की भी प्रशंसा करना मेरे लिये न तो बाध्यता है और न ही मजबूरी .. । यदि कोई चीज या कोई कार्य प्रशंसा के योग्य है तो उसकी प्रशसां जरूर किया जाना चाहिये । प्रशंसा करना अथवा बुराई करना या कोई नकारात्मक टिप्पणी करना .. महसूस करने या अनुभूति की .. सक्रिय प्रतिक्रिया है । मैं यह जो लिख रहा हूं वह महसूस करने की बात है और मैं तो वही लिख रहा हूं जो इस वक्त महसूस कर रहा हूं । संवेदनशील होकर भी निष्क्रिय पड़े रहना .. शायद मेरी फितरत नहीं है । फिर अभिव्यक्ति तो प्रकृति प्रदत्त अवयव है । आपकी सहमति या असहमति किसी अभिव्यक्ति के लिये भिन्न हो सकती है .. यह अलग बात है ।

festival of colours ..

आज रंगो का त्योहार है । कुछ रंगो के बारे में .. मैं जो समझता हूं उससे अवगत कराना चाहूंगा । पीला रंग, तेज, उर्जा व जागरूकता का प्रतीक है । लाल रंग प्रेम या प्रियता और शक्ति का आभास दिलाता है । हरा रंग प्रकृति का रंग है और इस रंग की बहुतायत या प्रचुरता है । नीला रंग व्याप्त है .. शांत आकाश में । बैगनी रंग के बारे में कहा जाता है कि यह रंग पूर्वाग्रहों को तोड़ने वाला होता है ।
ये अलग बात है कि कुछ रंगो का प्रयोग या उपयोग या उसकी प्रतिकात्मकता किसी प्रयोजन-विशेष के लिये होती है । उदाहरणार्थ ट्रेफिक सिग्नल्स में लाल .. पीले व हरे रंग का उपयोग .. अलग-अलग मायने के लिये होता है । कुछ वर्ग-विशेष कुछ रंगो को अपना प्रतीक बनाए हुए हैं .. ये अलग बात है ।
रंग प्रक़ति प्रदत्त है .. यह किसी की अमानत नहीं है .. किसी भी रंग पर आपका भी उतना ही अधिकार है .. जितना की किसी अन्य का ।

life .. health or wealth ..

जिन्हे वाद-विवाद .. जिरह .. पसन्द है .. यह उनके लिये है - ज़िदगी और दौलत के अंतर व उनके महत्व को उनसे जाना जा सकता है .. जो भूकम्प .. सूनामी .. व .. परमाणु विकिरण के शिकार हैं ..

importance of water ..

जो लोग, अपने जीवन के कई बहुमूल्य छण, पीने के साफ पानी के लिये, लम्बी लाइन लगाकर, खर्च करते है .. पानी का महत्व .. उनसे पूछना चाहिये ..

मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..

कुछ .. आपस में बातें कर रहे थे ..
एक - moral values .. नैतिकता .. जैसे शब्द तो ऐसा लगता है कि सिमट कर रह गये हैं अब केवल किताबों में ..
दूसरा - व्यवहार से तो ऐसे गायब हो गये हैं कि जैसे गधे के सिर से सिंग .. ।
तीसरा – रूपये-पैसे की भाषा में .. ये नैतिकता और ये moral values जैसे शब्दों का उपयोग तो ऐसा लगता है कि जैसे आप किसी गधे के सिर पर सिंग की कल्पना कर रहे हों ।
चौथा - बेचारा गधा .. ये बुद्धिमान लोग .. इस सीधे-सादे प्राणी के बारे में न जाने क्यों पड़े रहते हैं ।
पांचवा – काजी जी काहे को दुबले .. तो .. मालूम हुआ .. दुनिया का अंदेशा .. । यार छोड़ो .. फिजूल .. अपना समय क्यों बर्बाद करें .. आओ .. चाय पी लें .. चाय ठंडी हो रही है .. ।
मैं सुन रहा था ..
मैं सोच रहा था ..

Tuesday, March 15, 2011

ज़िंदगी .. और .. जापान ..

JAPAN .. natural disaster .. men made disaster .. innocent people .. lives .. कुछ समझ नहीं आता ..

Monday, March 14, 2011

उम्र और .. उम्र तजुर्बे की ..

मेरे पिछले BIRTH DAY पर किसी ने पूछा - आपकी उम्र ?
मैंने कहा - 16 साल और बाकी के साल .. तजुर्बे में शामिल ..

दृढ़ इच्छा शक्ति की असामित ताकत ..

मैं सोचता था .. मुझे विश्वास भी था .. लेकिन पहले .. न ही कोई ऐसा उदाहरण मेरे पास था कि जिससे मैं आत्मविश्वास के साथ कह सकूं कि दृढ़ इच्छा शक्ति की असामित ताकत का आप अंदाजा नहीं लगा सकते । इन दिनों .. मुझे जो अनुभव हुए .. वे मेरे लिये अभूतपूर्व थे और मैं कल्पना में भी नहीं सोच सकता था कि इच्छा शक्ति में इतनी ताकत हो सकती है । मैंने सोचा कि अपने इस अनुभव को जरूर ब्लाग में लिखूं .. । दृढ़ इच्छा शक्ति को बनाये रखने का .. आज मैं हिमायती हूं ।

Sunday, March 6, 2011

मै सोच रहा था ..

एक हम हैं कि तिकोन का चौथा कोना ढूंढने में रह गये और वक्त गुजरता चला गया .. मैं कैलेंडर देख रहा था .. मै सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था ..

कई बार फिसलते दिल की बेकाबू रफ्तार को पकड़ने में मेरी उर्जा और वक्त जोनों ही फ़िजूल ही जायज होते रहे .. और विडम्बना तो देखो कि उम्र के इस पड़ाव में भी .. अब भी मैं यही काम कर रहा हूं ..कभी विवेक से काम लेकर तुम शायद मेरी इस हालत पर रहम करो .. थका हुआ दिमाग कह रहा था .. अपने ही दिल से .. । दिमाग की इस व्यथा को मैंने कहीं पढ़ा .. पढ़कर मैं सोच रहा था .. ।

अहंकार ..

बहुत खुश होकर अपनी कविताओं की पहली पुस्तक लेकर वह नवोदित कवि उनके पास गया था । वे एक स्थापित साहित्यकार थे । उनके प्रति यथोचित से ज्यादा सम्मान का प्रदर्शन वह कर रहा था और बड़े शान से उसने अपनी वह पुस्तक उनके सामने रखी । पुस्तक के दो-चार पन्ने लापरवाही से पलटने व पुस्तक की दो-चार कविताओं पर एक नजर डालकर वे उस नवोदित कवि से मुखातिब हुए और उसकी ओर कुछ इस तरह से देखा कि स्पष्ट लग रहा था कि उनके इस तरह से देखने से अचानक ही अब जैसे वह गंभीर अपराध-बोध से ग्रसित हो गया हो । वह चुपचाप खड़ा रहा । उसे बैठने के लिये भी नहीं कहा गया । किताब पर वे अब बोले – ठीक है .. लेकिन .. चलिये ठीक है .. । सुनकर वह अब शायद चुपचाप निकल जाने में ही भलाई समझा और जी बहुत-बहुत धन्यवाद कहते हुए वहां से चला गया ।
मैंने उसके जाने के बाद उनसे केवल यह कहा – कि शायद परिपक्वता वक्त के साथ आती है .. फिर हंसते हुए आगे कहा – बछड़े और गाय में अंतर तो होता ही है .. और वह भी कह बैठा जो मुझे उनसे नहीं कहना चाहिये था – कि बच्चों में देखो कितनी फ्लेक्सीबिलीटी होती है और बूढ़े होते-होते शरीर में अकड़न बढ़ जाती है । वे शायद मेरा आशय समझ चुके थे ।

मैं अब उठा और मेरा यकीन मानिये कि दुबारा मैं आज तलक उनके पास नहीं गया । उसके बाद वह नया लेखक अपनी कई किताबें प्रकाशित कर चुका लेकिन उसने कभी पलटकर इन स्थापित साहित्यकार की ओर अपना रूख नहीं किया । निश्चित रूप से उन्होने अपने शुभचिंतकों की दो कतारें तो खो दी थी .. ।
मैं उस वक्त के उस नये लेखक को नाम व सूरत दोनो से पहचानता हूं लेकिन उन्हें शायद यह गुमान भी नहीं होगा कि मैं उनकी श्रद्धा और तिरस्कार व अहम् के सिलसिले का साक्षी था ।

Saturday, March 5, 2011

music is beyond age ..

music is beyond age, status or any other boundaries .. यह हकीकत है .. इसमें कोई शक नहीं ..

Friday, March 4, 2011

मैं सोच रहा था ..

विश्वास के बाद ही तो विश्वासघात .. शब्द आया होगा .. मैं सोच रहा था ..
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A successful team may not be good or equal in qualification .. in efficiency and the work experience .. BUT they are equal in COMMITMENT .. मैं सोच रहा था ..
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जो सफल होते हैं .. उनके पास भी तो दो हाथ ( कर्म के लिये), दो पैर (आगे बढ़ने के लिये) दो आंखे (observation के लिये) और एक नाक (अहम्) होता है अर्थात् वही सब-कुछ होता है .. जो असफल होता है .. लेकिन फिर भी एक सफल और कोई दूसरा असफल होता है .. । चिकित्सा-विज्ञान की पहली सीढ़ी में एनाटामी व फिजियालाजी पढते मैंने कभी लिखा था । मैं पढ़ रहा था .. मैं सोच रहा था .. ।
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कई बार फिसलते दिल की बेकाबू रफ्तार को पकड़ने में मेरी उर्जा और वक्त जोनों ही फ़िजूल ही जायज होते रहे .. और विडम्बना तो देखो कि उम्र के इस पड़ाव में भी .. अब भी मैं यही काम कर रहा हूं ..कभी विवेक से काम लेकर तुम शायद मेरी इस हालत पर रहम करो .. थका हुआ दिमाग कह रहा था .. अपने ही दिल से .. । दिमाग की इस व्यथा को मैंने कहीं पढ़ा .. पढ़कर .. मैं सोच रहा था ..।
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Wednesday, March 2, 2011

you and the world ..

You must know this and understand this that you are the supreme authority in this world or earth .. just think that - if you are not there or before your arrival and after your departure from this earth there is no realization of the world .. how can you see the world .. so world exists only till you are there .. so you must establish a good or very-very good or rather best of your efforts in the direction of humanity by creating memorable lovely examples .. you must go on attempting creation of never-before positive images and attitude ..

keep dreaming and make a reality ..

Do not listen to those who saySTOP DREAMING AND FACE REALITY .. instead tell yourselfKEEP DREAMING AND MAKE IT A REALITY .. शब्दों में असीमित ताकत होती है । सकारात्मकता की सोई हुई उर्जा को जगा सकता है कोई .. तो वो हैं शब्द .. मैं सोच रहा था ..

determinative sentence ..

Most determinative sentence which always should be followed in lifeTHE RACE IS NOT OVER BECAUSE I HAVE NOT WON YET .. सकारात्मकता .. पूरी तौर पर ..

Tuesday, March 1, 2011

6th sense .. parapsychic powers ..

6th sense .. parapsychic powers .. पिछले दिनों ..इन विषयों से जुड़ी कुछ बातें .. पढ़ने, सुनने व देखने मिलीं .. । ये वे बातें हैं जिनको सामान्य तौर पर तार्किक संदर्भों में समझना और समझाना मुश्किल है । इससे संबधित कहीं पढ़ा था .. आज ही .. फिर से .. इसलिये वो बात ताजी हो गई और सोचा कि इसे share करूं .. ब्लाग में ।

Friday, February 25, 2011

मैं सोच रहा था ..

कि दिक्कत .. सपने देखने में नहीं है .. उसे पूरा करने में है .. मैं सोच रहा था .. लेकिन .. ज़िद भी तो कुछ है .. मैं सोच रहा था ..

बेहतर समीक्षक ..

उसने कहा मुझसे बेहतर कोई समीक्षक कोई दूसरा हो ही नहीं सकता .. ।
मैंने कहा अवश्य .. आपसे बेहतर .. आप स्वयं के लिये .. कोई दूसरा हो ही नहीं सकता .. ।
मैंने आगे कहा मैं आपकी प्रशंसा करता हूं .. वह इसलिये कि अपने स्वयं की समीक्षा करने वाले भी तो बिरले ही हैं ..

मैं सोच रहा था ..

आज का दिन .. फिर कहलाएगा .. कल .. बीता हुआ दिन .. और आने वाला कल .. कहलायेगा .. फिर .. आज का दिन .. मैं सोच रहा था ..

Tuesday, February 15, 2011

मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था .. कि यह मेरा ही observation है या फिर और भी लोग महसूस करते हैं कि .. इन दिनों लोगों का IQ कम होता दिखाई दे रहा है या फिर मैं इर्द-गिर्द ऐसे लोगों के सम्पर्क में ज्यादा आ रहा हूं जिनका IQ कम है .. या फिर .. खैर .. बात जो भी हो .. सिकुड़ते अत्यंत सामान्य ज्ञान पर .. आश्चर्य होता है । लोगों की संवेदनशीलता .. मुद्रा या पैसे के लिये बढ़ते जा रही है .. वैसे तो मुद्रा या पैसे की आवश्यकता और महत्व को नकारा तो नहीं जा सकता .. लेकिन .. मुद्रा या पैसे की अहमियत ने पहले से लेकर अंतिम स्थान ले लिया है । केवल - मुद्रा या पैसा .. केवल .. मुद्रा या पैसा । आपसी-लगाव .. moral values .. जैसे शब्दों को लेकर बढ़ती अनभिज्ञता .. शायद आने वाले कल के लिये .. चिंता का सबब बन रही है ।

Thursday, February 10, 2011

thoughtful lines ..

I came across ..
following .. thoughtful lines -

- no one can destoy IRON - but its own rust can .. no one can destroy a person – but his own mind can ..

- One must go on taking risks in the life .. as if you win – you can lead .. but .. if you loose – you can guide ..

- Going to learn .. in the school or college .. was better than going to earn .. after ..


- Be greatful .. and .. be thoughtful also that – we do not have everything that we want .. as we are left still with the opportunity of being happier tomorrow than we are today ..

- one must write .. their goals .. as they can transform WISHES into WANTS .. CAN’T into CANS .. DREAMS into PLANS .. PLANS into REALITIES .. so do not just think .. BUT .. just INK it ..

- time is very precious .. as once it is given to anyone .. one can not take it back .. so alwas remember that time spared for you by anyone or time spared by you for anyone is VERY VERY PRECIOUS ..

- I do not have time to hate people who hate me .. as I am too busy a person in loving ones who love me and also who do not love me ..

- anyone who can not accept you when you are at your worst .. has no right to be with you when you are at your best ..

- a truth .. if anyone does not learn from his or her past .. then he or she is likely tobe punished by the future ..

- an expression .. my heart is mine but when I make any argument with it .. it alwas takes your side ..

Wednesday, February 9, 2011

innovative .. डा. ए.आर. दल्ला ..


डा. ए.आर. दल्ला .. से .. वैसे तो लगभग रोज ही मुलाकात होता है .. मुझे यह भी मालूम है .. लम्बे समय से कि वे innovative हैं .. लेकिन 07 फरवरी 2011 – उन्होने मुझे 5.5 X 8 सेंमी. लगभग आकार का .. एक छोटा सा कार्ड दिया .. इसे scan करके .. मैंने सोचा कि व्लाग में अवश्य शामिल करूं ..

Friday, February 4, 2011

टिप्पणी का स्वागत है ..

प्रिय श्री Rahul Singh जी द्वारा की गई टिप्पणी का स्वागत है । मैं अब ध्यान रखूंगा कि मुझसे कोई गलती - typing mistake .. लेखन में .. शब्दों को लेकर .. न हो ।

Wednesday, February 2, 2011

तजुर्बा ..

मेरे मित्र ने कहा - तजुर्बा .. मेरे लिये महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ज़िदगी में गलत फैसलों से बचाता है .. सुनकर .. मुझे अच्छा लगा .. ।
मैं सोच रहा था .. कि .. लोग दूसरों के तर्जुबे का फायदा उठाकर व उससे सबक लेकर गलत फैसलों से क्यों नहीं बच लेते .. सकारात्मकता की लम्बी-चौड़ी बातें करने वाले लोग .. इस महत्वपूर्ण बात को महत्व क्यों नहीं देते .. ।

Tuesday, February 1, 2011

importance of health ..

Health is like money .. we never have a true idea of its value until we loose it ..

Friday, January 28, 2011

Nice lines ..

Nice lines when Nails are growing we cut nails .. not fingers ..but .. similarly .. when EGO is growing .. we must cut our EGO and not relations ..

Thursday, January 27, 2011

मैं सोच रहा था ..

कभी कोई ख़्याल यूं ही नहीं आता .. मैं सोच रहा था .. कि कहीं उत्पन्न विचारों की तरंगों को दिमाग पकड़ता है .. यह मेरी अपनी सोच है या फिर एक सत्य .. कुछ समझ नहीं आता है ..

मैं सोच रहा था ..

न जाने क्यों लोग आपस में बात तलक करने से कतराते हैं .. दिल का कोई कोना तो चाहता है कि मिलें और न मिले तो क्या हुआ .. कम से कम बात तो करें .. लेकिन .. फिर सामने आता है - ego .. कि .. पहल कौन करे .. कहीं सम्मान को ठेस लगने का डर तो नहीं .. मैं सोच रहा था .. लेकिन क्यों और इससे क्या ..

a good message ..

most beautiful music in the world is your own heart beat .. as it gives you assurance .. constantly .. that you are surviving .. even when the whole situation is against you .. the whole world leaves you alone ..

a thoghtful message ..

No matter .. how good your intentions are - the world judges you by your presentations ..
BUT .. No matter .. how good your presentations are - the God judges you by your intentions ..
( This - sent to me throgh SMS by dr kavindra sarbhai .. )

Tuesday, January 25, 2011

मैं सोच रहा था ..

24 जनवरी 2011 – दुखद समाचार - हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य गायक पं. भीमसेन जोशी नहीं रहे –
(1972 – पद्म श्री, 1985 – पद्म भूषण, 1999 – पद्म विभूषण, 2008 – भारत तत्न)
जो ख़ास होते हैं .. ख़ास व्यवस्था होती है .. कि हमारे व्यवस्था की यह ख़ासियत है .. मैं अख़बार में कहीं पढ़ रहा था ..
आगे और कहीं पढ़ा –
बात 1960 की है । कोलकाता ( उस समय कलकत्ता ) में पं. भीमसेन जोशी के गायन कार्य़क्रम में ख्यात बंगाली अभिनेता पहाड़ी सन्याल भी थे । कार्यक्रम की समाप्ति पर जोशी जी सन्याल जी के पास पहूंच कर उन्हें याद दिलाया कि उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में सन्याल के घर घरेलू नौकर के रूप में काम किया था ।
पढ़कर .. मैं सोच रहा था .. जो खा़स होते हैं .. उनकी खा़सियत के बारे में .. उनके बड़प्पन के बारे में ..

मैं सोच रहा था ..

अपनी उम्र का हिसाब इस बात से करना चाहिये कि आपके सही अर्थो में दोस्त कितने हैं .. शुभ चिंतक कितने हैं .. । उम्र का हिसाब वर्षों में करने से क्या फायदा .. निरर्थक .. कोई कह रहा था .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..

Sunday, January 23, 2011

मैं सोच रहा था ..

किसी का काम करने की, किसी को कोई बाध्यता नहीं लेकिन काम नहीं कर पाने की स्थिति में समय पर सूचित या अवगत करा देना जरूरी है .. यह काम कराने से भी शायद ज्यादा महत्वपूर्ण व जरूरी है .. मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था .. आसपास की व्यथा को अभिव्यक्त करना ही चाहिये ..

Friday, January 21, 2011

शब्द ..

वो लेख ही क्या है जो आपको अंदर तक हिला न दे । हिलाने का मेरा अभिप्राय सकारात्मकता लिये हुए है .. क्योंकि मैं खुद भी नकारात्मकता में विश्वास नहीं करता हूं । जिस लेख को आपका मन सहेज कर रखना चाहता है ऐसा लेख .. दिल से बाहर आकर शब्दों का रूप लिये होता है । शब्दों की और अभिव्यक्ति की .. ताकत .. असीमित होती है .. मैं लिख रहा था .. मैं सोच रहा था ..

feed back के लिये .. दिल से धन्यवाद ..

मुझे लगा था कि शायद कोई नहीं देखता है मेरे ब्लाग को .. लेकिन feed back से मालूम हुआ कि मेरे ब्लाग को पढ़ने वाले भी हैं .. । महत्वपूर्ण .. अब यह है कि जो रफ्तार थी .. लिखने की उसे बनाये रखना जरूरी है । मैं बहुत जल्द ही फिर से नियमित हो जाउंगा .. ब्लाग में भी । जिनने भी feed back दिया है मैं तहे दिल से उनका शुक्रिया अदा करता हूं ।
Yes .. there the urge is .. to write regularly .. just forgive me .. the reason was the lack of urge .. a push ..

Monday, January 17, 2011

sprain is .. perhaps .. a worst experience than a fractutre ..

16 जनवरी 2011 - हम सभी बारनवापारा जंगल देखने जा रहे थे । रास्ते में कहीं ट्रेफिक-जाम था । उतरकर देखना चाहा था कि क्या हुआ है .. सड़क पर किनारे - पैर फिसल गया .. left ankle joint में जबरदस्त सूजन .. ईश्वर को धन्यवाद कि fracture नहीं हुआ ।

Thursday, January 6, 2011

मैं सोच रहा था ..

कुशल घुड़सवार भी घोड़े से गिरता है .. कोई अच्छा तैराक भी पानी में डूब सकता है .. कोई प्रसिद्ध व सफल हार्ट स्पेशलिस्ट भी हार्ट अटेक से मर सकता है .. किसी भी अच्छे पायलेट की मौत भी तो वायुयान दुर्घटना में हो सकती है .. कई एस्ट्रालाजर्स हैं, जिनको की कई सिद्धहस्त समझते हैं .. लेकिन दूसरों का भविष्य बताने वाले ये हस्त-रेखा विशेषज्ञ व ये एस्ट्रालाजर्स अपने ही भविष्य से बेखबर रहते हैं .. । शरीर की कौन सी कोशिका कब अपना व्यवहार बदलकर दुष्टटता कर बैठे और कैन्सर का सबब बन बैठे .. ये कौन बता सकता है .. शायद कोई नहीं .. ।
फिर घमंड काहे का .. किस बात का .. ।
तो फिर महत्वपूर्ण क्या है .. यह प्रश्न स्वभाविक है .. मैं सोच रहा था .. मुझे यह तो नहीं मालूम कि महत्वपूर्ण क्या है .. लेकिन मैंने महसूस किया है कि - दिल से निकली शुभकामनाओं में और दिल से निकली आह में निहीत उर्जा की ताकत निश्चित रूप से असरकारक होती है और उसका परिणाम व प्रभाव निश्चित होता है .. अमृत या फिर विष की तरह .. ।
यह मैंने लिखा था - 12 जुलाई 2006 की सुबह 07.45 बजे । उपर लिखीं इन सारी बातों से .. मैं आज भी सहमत हूं .. ।

मैं सोच रहा था ..

मैंने बहुत पहले, 12 जुलाई 2006 को लिखा था .. आज वह कागज कहीं से सामने आ गया - आप बबूल का पेड़ लगाकर आम के पेड़ की कल्पना करते हैं .. । कल्पना करना तो आपका अधिकार है लेकिन .. मैं सोच रहा था .. कि क्या आप चिंतन भी करते हैं कि बबूल का पेड़ लगाकर आप आम के फल प्रप्ति की कैसे आस लगाए बैठे हैं । सकारात्मक प्रयास की परिणति सदैव लाभकारी व नकारात्मकता का परिणाम अनिष्टकारी ही होगा ।