Sunday, May 27, 2012

भीषण गर्मी में
शब्द भी
पिघल
रहे हैं ..

Saturday, May 12, 2012

सुर्खियो में बने रहने के लिये केवल विवादास्पद होना ही जरूरी नहीं है बल्कि आपमें कोई न कोई तत्व होना ही चाहिये .. वरना आप तथाकथित महान भी कहलाने लायक नहीं रह पायेंगे ..
मुझे तो बंद घड़ी से भी कोई शिकायत नहीं है .. कि .. वह भी तो 24 घंटे में 2 बार .. सही समय बताती है ..
ये हकीकत है / कि / मेरे चारो तरफ  / जिधर भी नजर घुमाता हूं  / महान या अत्यंत महान ही दिखलाई पड़ते हैं  / मैं सोच रहा था  /  कि  /  सपने में भी / शायद  /  इसलिये / सभी का स्तुति गान चालू रखता हूं ..
सदैव परम आदरणीय, प्रातः स्मरणीय,अत्यंत सम्माननीय, अत्यंत विवेकशील, अत्यंत मृदु भाषी, अत्यंत पूजनीय, जैसे शब्द-अलंकरण से किसी की भी अवरोधक या प्रतिरोधक क्षमता का क्या क्षीण हो जाना संभव है .. मैं सोच रहा था ..
I thought this .. necessary to get posted - most dangrous and at times suicidal - is the expression of importance i.e. called the VIP SYNDROME .. by a person, who is ill .. as this makes the doctor .. to think and work under compulsion ..
बात पिछले दिनों की है कि मैंने कुछ चेहरे तैल-चित्र में बनाये थे . सभी काल्पनिक थे . उनमें से कुछ आकर्षक व कुछ तो किसी को भी (घर में) पसंद नहीं आ रहे थे . लेकिन ये चेहरे उत्पत्ति थे शायद मेरे अर्ध-चैतन्य चिंतन के .. और वैसे भी ये मेरा बस एक प्रयोग था . इस प्रयोग में जो चेहरे आकर्षक नहीं लग रहे था .. मेरा यकीन मानिये कि ये अनाकर्षक चेहरे कुछ लोगों को इतने पसंद आये कि उनने उसे ज़िद कर रख लिया . मैं सोच रहा था .. कि कोई किसी को नापसंद तो वही किसी को बेहद पसंद हो सकता है ..
कोई मुझे बतलाये कि सड़क पर चलते हुए .. ऐसा क्यों होता है कि कुछ चेहरे कभी अपनापन लिये हुए लगते हैं तो कुछ चेहरों को देखकर कभी अचानक घृणा के भाव उत्पन्न हो जाते हैं जबकि सचाई तो यह है कि कि अच्छे लगने वाले और अच्छे नहीं लगने वाले .. दोनो ही प्रकार के चेहरे .. पहले कभी भी देखे हुए नहीं होते हैं ..
क्या / पुर्नजन्म  / होता है  / मैं सोच रहा था ..
वो कह रहे थे - ज़िंदगी में तरक्की की यदि चाहत है तो शायद याद रखना जरूरी है कि सभी को सदैव परम आदरणीय, प्रातः स्मरणीय,अत्यंत सम्माननीय, अत्यंत विवेकशील, अत्यंत मृदु भाषी, अत्यंत पूजनीय, जैसे शब्द-अलंकरण से अलंकृत किया करो .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..
मेरी इस बात में दम तो है और ये सार्थक भी है कि दुनिया मैं सबसे महत्वपूर्ण आप हैं .. कोई किसी से कह रहा था .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था .. शायद यह चिंतन किसी बहस को आमंत्रित कर रहा था ..
गांव की पगडंडी में एक बैलगाड़ी चली जा रही थी और .. उसके नीचे एक चार पैर वाला जानवर भी चल रहा था .. चार पैर वाला वह जानवर सोच रहा था कि जैसे बैलगाड़ी वह खुद चला रहा है .. वो बता रहे थे .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..
अभिव्यक्ति / प्राकृतिक / अवयव / है ..
Where knowledge fails behaviour can handle the situation well .. मैं सोच रहा था ..
expression is a natural element ..
खुद को 
महान व अपराजित समझने का बीज
शायद अज्ञानता ही है ..
मैं सोच रहा था ..
हर महान आदमी में कोई न कोई असाधारण और असामान्य बात होती है यह जानकारी देने मात्र से - यह जानकारी देने वाला और असामान्य अभिव्यक्ति वाला कोई भी व्यक्ति महान नहीं हो जाता .. कुछ लोग दुनिया में ऐसे भी हैं - जो विवादास्पद होना ही महानता की निशानी समझ बैठते हैं ..
कोई कैसे कह सकता है कि उसने लिखते समय कभी कोई गलती की ही नहीं है .. मैं सोच रहा था ..
कि
दर्पण को तोड़ देने से
चेहरा तो
नहीं बदल जाता
मैं सोच रहा था ..
never follow people who have achieved great heights .. But must follow those who hold you when you were falling from the heights .. LOYAL is always better than the ROYAL .. मैं पढ़ रहा था .. किसी का भेजा हुआ sms था .. मैं सोच रहा था ..
दृष्य एक -


एक – आइने का भला क्या दोष .. तुम्हारी तो सोच ही खंडित है ..
दूसरा – आइना टूटा हुआ है .. इसलिये तो आइने में चेहरा कई टुकड़ों में बट गया है .. यह कहकर उसने आइना बदल दिया और फिर आइने के सामने खड़े होकर अपने चेहरे को मुस्कराते हुए निहारने लगा ..

दृष्य दो -

एक - आइने को दोष मत दो .. जैसे हो वैसा ही तो दिखेगा .. अपनी शकल सुधारो .. कभी-कभी अकल का भी तो उपयोग कर लिया करो ..
दूसरा – पहले ने कपड़े से आइने के उपर की गर्द झाड़ दी और फिर आइने के सामने खड़े होकर अपने चेहरे को मुस्कराते हुए निहारने लगा ..
मैं देख रहा था .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..
कोई था
जो
कह रहा था
क्या नहीं है
जो
नहीं बिकता ..
मैं सुन रहा था ..
मैं सोच रहा था ..

कोई कह रहा था ..
कला नहीं - दरअसल कलाकार बिकता है ..
मैं सुन रहा था ..
मैं सोच रहा था ..
किसी ने
मुझसे पूछा
कि
आपको
कौन सा रंग
सबसे ज्यादा पसंद है ..
मैं क्या जवाब दूं
मैं सोच रहा था ..
मैं सोच रहा था कि परिंदो का कौन सा धर्म होता होगा कि वे कभी उड़कर मंदिर पर तो कभी मस्जिद पर तो कभी उड़कर किसी चर्च पर तो कभी गुरद्वारे पर तो कभी किसी अन्य की मजहब की प्रार्थना-स्थली पर जा बैठते हैं ..
एक "साहब" ने किसी डाक्टर को "बुलवाया" .. जांचने के बाद डाक्टर ने कहा - सर .. कोई दिक्कत नहीं .. 'लोकल एनेस्थेशिया' में हो जायेगा .. डाक्टर ने अभी अपनी बात भी पूरी नहीं किया था कि "साहब" ने चिल्लाकर अपने पी.ए. और ड्रायवर को बुलाया और कहा - बाहर निकालो इसे .. किस गधे को ले आये हो .. ये तो 'लोकल' सामान की बात करता है .. कोई बता रहा था .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..
इंसान और जानवर में
क्या फर्क है .. ?
मैं सोच रहा था ..
प्रेरणा ( inspiration ) के लिये इर्द-गिर्द देखना और महसूस करना अर्थात् प्रकृति ( nature ) ही शायद पर्याप्त है –
बादलों से ढक गया सूरज
मतलब ..
मर तो नहीं गया
सूरज
मैं सोच रहा था ..
रोज की तरह आज भी
सुबह होते ही
लग गया हूं
फिर से
इंसानियत खोजने ..
मैंने देखा था

कई दिन पहले
एक रंगीन स्वप्न
और
अब भी
कुछ-कुछ याद आता है
धुंधले से
मुझे
ब्लेक एंड व्हाइट में
वो दृष्य
मैं सोच रहा था ..
लिखना तो
मैं भी चाहता हूं

अपनी
आत्म-कथा
लेकिन
हालात इजाजत नहीं देते
कि
जो सच है
वह मैं लिख नहीं सकता
और
आधारहीन
सोचना भी
मुझे
गवारा नहीं है
मैं सोच रहा था ..
कि
हल्के रंगो का
कोई
कैरेक्टर नहीं होता
कैनवास पर चित्र बनाते
मैं सोच रहा था ..
you may be not a very .. very hard worker and you may not be knowing more than the others but if you are capable of doing - पांच पैसे का काम करके पांच करोड़ की काबिलियत का डंका बजाना .. then you are a successful person .. this is the - todays theory of success ..
मुखौटों की प्रदर्शनी
देखते
मैं सोच रहा था
कि
इनकी
लोगों को
क्या जरूरत है ..
- हर महान आदमी में कोई न कोई असाधारण और असामान्य बात होती है कह देने मात्र से यह कहने वाला और असामान्य अभिव्यक्ति वाला कोई भी व्यक्ति .. महान नहीं हो जाता ..

- यदि कोई मुझे नहीं समझ सका तो इसमें दोष किसका है .. वो कह रहे थे .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..

Sunday, May 6, 2012

रोज की तरह
आज भी
सुबह होते ही
लग गया हूं
फिर से
इंसानियत खोजने ..

मैंने देखा था
कई दिन पहले
एक रंगीन स्वप्न
और
अब भी कुछ-कुछ याद आता है
धुंधले से
मुझे
ब्लेक एंड व्हाइट में
वो दृष्य ..
मैं सोच रहा था ..