shabda-sankalan
Thursday, January 27, 2011
मैं सोच रहा था ..
कभी कोई ख़्याल यूं ही नहीं आता .. मैं सोच रहा था .. कि कहीं उत्पन्न विचारों की तरंगों को दिमाग पकड़ता है .. यह मेरी अपनी सोच है या फिर एक सत्य .. कुछ समझ नहीं आता है ..
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