मेंने कहीं पढ़ा था -
मुस्कान बहुत बड़ी दौलत है .. इसे पाने वाला तो मालामाल होता ही है .. .. लेकिन देने वाला भी कभी दरिद्र नहीं होता .. ।
Friday, October 29, 2010
मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..
एक - सरलता व सहजता का कभी-कभी नकारात्मक प्रभाव देखा गया है .. ।
दूसरा - हो सकता है .. लेकिन, ऐसा प्रभाव चिर स्थाई नहीं होता .. यह प्रभाव कालांतर में अंततः सकारात्मकता में परिवति्रत हो ही जाता है ..
तीसरा - बाद मरने के सबाब आये तो क्या फायदा .. ।
चौथा - कभी ऐसा भी तो होता है कि, भैंस के आगे बीन बजाये .. भैंस पड़ी पगुराये .. ।
एक - सांप हो या फिर बिच्छु .. अपनी प्रकृति तो नहीं बदलते .. सरलता व सहजता की भाषा व अर्थ व मायने की भला उन्हें काहे की समझ .. ।
तीसरा - कुटिलता का जवाब कुटिलता ही होना चाहिये .. तभी सबक मिलता है .. ।
सहमति व असहमति के इस वार्तालाप को .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था .. ।
दूसरा - हो सकता है .. लेकिन, ऐसा प्रभाव चिर स्थाई नहीं होता .. यह प्रभाव कालांतर में अंततः सकारात्मकता में परिवति्रत हो ही जाता है ..
तीसरा - बाद मरने के सबाब आये तो क्या फायदा .. ।
चौथा - कभी ऐसा भी तो होता है कि, भैंस के आगे बीन बजाये .. भैंस पड़ी पगुराये .. ।
एक - सांप हो या फिर बिच्छु .. अपनी प्रकृति तो नहीं बदलते .. सरलता व सहजता की भाषा व अर्थ व मायने की भला उन्हें काहे की समझ .. ।
तीसरा - कुटिलता का जवाब कुटिलता ही होना चाहिये .. तभी सबक मिलता है .. ।
सहमति व असहमति के इस वार्तालाप को .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था .. ।
Sunday, October 24, 2010
अनुरोध ..
विरोध .. अवरोध .. गतिरोध .. प्रतिरोध .. । मैं पढ़ रहा था .. खबरों का सिलसिला .. लेकिन कहीं भी नहीं थी .. बातें अनुरोध की .. ।
Saturday, October 23, 2010
हिन्दी .. भारत की राष्ट्र भाषा है .. विविधता में एकता के लिये .. यह एक जरूरत है ..
मैं पिछले दिनों, भारत में ही, लम्बी यात्रा करके लौटा हूं लेकिन जो मैंने देखा और महसूस किया वह चौंकाने वाला था । जहां मैं हतप्रभ था वहीं मुझे दुख भी हुआ । बढ़ती क्षेत्रियता की भावना को देखकर व जानकर । हम भारत के किसी भी कोने में हों .. यह अहसास बना रहना चाहिये कि, हम भारत में हैं .. अपने ही देश में .. अपनी ही भूमी में .. । मातृभाषा चाहे जो भी हो लेकिन, राष्ट्रभाषा तो हिन्दी है इसे नहीं भूलना चाहिये .. । आपने किसी से हिन्दी में कुछ पूछा और उसने जवाब किसी भी स्थानीय या प्रांतीय भाषा में दिया और जो आपको आती नहीं है .. । आपके किसी व्यवहार से किसी को अनावश्यक तकलीफ नहीं पहूंचे .. यह सोचना भी जरूरी है । इसे समझना और आत्मसात करना जरूरी है .. कि .. हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी है और वह ही सर्वोपरि है । विविधता में एकता के लिये विचारों के आदान-प्रदान के लिये भाषा का एक होना जरूरी है और हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी है .. हमें अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी पर गर्व करना चाहिये .. ।
you like to listen or not ..
किसी भी अप्रिय स्थिति से दूर भागने का प्रयास करते मैंने कई लोगों को देखा है । अप्रिय का सीधा मतलब है .. ऐसी कोई बात जो नापसंद हो .. या फिर ऐसी कोई बात जो भले ही सही हो लेकिन आप जिसे सुनना पसंद नहीं करते । लेकिन किसी के नहीं सुनने या नहीं सुनाने से, वास्तविकता तो नहीं बदल जाती .. । बात दरअसल यह है कि किसी की भी बात को ध्यान से सुन लेने से - 1. सामने वाली की हौसलाफ़जाई होती है, और 2. आपने उसकी बात ध्यान से सुना इसलिये हो सकता है कि कोई आपके काम की बात आगे भी वह बता जाये .. वरना, आप वंचित हो सकते हैं ऐसी किसी भी सूचना या जानकारी से, जो सही समय पर आपको मिल पाती ।
मैं ब्लाग में, केवल वही बातें लिखना चाहूंगा जो, किसी न किसी रूप में, मेरे इर्द-गिर्द घटी हैं ।
मैं ब्लाग में, केवल वही बातें लिखना चाहूंगा जो, किसी न किसी रूप में, मेरे इर्द-गिर्द घटी हैं ।
Monday, October 18, 2010
बातें .. वक्त वक्त की ..
बुराई पर अच्छाई की विजय .. रावण कितना भी बड़ा हो वह तो मरता ही है .. अहंकार का अंत तो होता ही है .. .. ये सभी और दूसरे भी कुछ इसी तरह के और ढेर से SMS पढ़ने के बाद .. आज अखबारों में पढ़ा कि बीते हुए कल में .. किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ .. तो किसी ने कुछ .. कुछ-कुछ ऐसी ही बातें कहीं थी .. कल occation या अवसर भी था कहने का .. और .. अब दशहरा बीत गया है .. और वह occation या अवसर भी ..
Sunday, October 17, 2010
बातें ..
कोई बातों ही बातों में कह रहा था कि, मैं तो भगवान के सामने हाथ जोड़कर कभी भी कुछ नहीं मांगता हूं क्योंकि क्या मालूम मैंने जितना भी मांगा है भगवान मुझे उससे ज्यादा देना चाहते हों और फिर मैंने ज्यादा मांग भी लिया तो इससे क्या होता है .. उनको जितना देना है वो मुझे उतना ही तो देंगे .. वहीं कोई दूसरा भी था .. उसने कहा कि मैं तो कुछ इस तरह से सोचता हूं कि छोटे से बच्चे को भी मां, तभी दूध पिलाती है जब वह रोता है .. मैं उनकी बातें सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..
Thursday, October 14, 2010
कल .. आज .. और कल ..
आज ही की तो बात है कि ..
कोई मुझसे कह रहा था - अतीत की तरफ झांकता हूं तो कभी लगता है कि ठीक ही हुआ तो कभी सोच .. वर्तमान पर ही सवालिया निशान उठाने लगती है कि यदि ऐसा होता तो .. तो क्या होता ..
मैंने कहा - अतीत तो अतीत है और वर्तमान एक हकीकत .. अतीत को कुरेदने में, उसका विश्लेषण करने में, वर्तमान को खर्च कर देना .. कहां की बुद्दिमानी है .. जो हुआ .. सो हुआ .. न अच्छा हुआ न बुरा हुआ .. जो हुआ .. सो हुआ .. ।
कोई मुझसे कह रहा था - अतीत की तरफ झांकता हूं तो कभी लगता है कि ठीक ही हुआ तो कभी सोच .. वर्तमान पर ही सवालिया निशान उठाने लगती है कि यदि ऐसा होता तो .. तो क्या होता ..
मैंने कहा - अतीत तो अतीत है और वर्तमान एक हकीकत .. अतीत को कुरेदने में, उसका विश्लेषण करने में, वर्तमान को खर्च कर देना .. कहां की बुद्दिमानी है .. जो हुआ .. सो हुआ .. न अच्छा हुआ न बुरा हुआ .. जो हुआ .. सो हुआ .. ।
Tuesday, October 12, 2010
12 अक्टूबर 2010, मंगलवार ।
आज बहुत दिनों के बाद, समय मिलते ही सोचा कि ब्लाग पर जाकर कुछ लिखूं क्योंकि जरूरी है लिखना इसलिये कि मुझे याद रहे और फिर कोई पढ़ता भी है मेरे ब्लाग को .. मुझे कोई महत्वपूर्ण नहीं लगता है यह मुद्दा .. क्योंकि यह मैं नहीं सोचता कि किसी को ब्लाग इसलिये लिखना चाहिये कि कोई पढ़े .. कोई पढ़ता है तो यह अच्छी बात है ।
मैंने चाहा है जो लिखना वो यह है -
कोई किसी की किस्मत को बदलने की प्रयास तो कर सकता है लेकिन बदलने में वह सफल ही होगा यह संभव नहीं है । जो घटनाएं घटनी हैं .. फिर चाहे वे सुखद हों या फिर दुखद .. यदि घटनी हैं तो स्थितियां व सोच उसी दिशा में चलने लगती हैं ।
आज बहुत दिनों के बाद, समय मिलते ही सोचा कि ब्लाग पर जाकर कुछ लिखूं क्योंकि जरूरी है लिखना इसलिये कि मुझे याद रहे और फिर कोई पढ़ता भी है मेरे ब्लाग को .. मुझे कोई महत्वपूर्ण नहीं लगता है यह मुद्दा .. क्योंकि यह मैं नहीं सोचता कि किसी को ब्लाग इसलिये लिखना चाहिये कि कोई पढ़े .. कोई पढ़ता है तो यह अच्छी बात है ।
मैंने चाहा है जो लिखना वो यह है -
कोई किसी की किस्मत को बदलने की प्रयास तो कर सकता है लेकिन बदलने में वह सफल ही होगा यह संभव नहीं है । जो घटनाएं घटनी हैं .. फिर चाहे वे सुखद हों या फिर दुखद .. यदि घटनी हैं तो स्थितियां व सोच उसी दिशा में चलने लगती हैं ।
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