shabda-sankalan
Thursday, June 23, 2011
कुछ समझ नहीं आ रहा कि ..
कुछ समझ नहीं आ रहा कि .. बात तो केवल बात है कि या फिर बात वक्त की है कि हम रंग से प्रभावित है या फिर रेखा या शब्द .. हमारे चिंतन पर कौन कब्जा किये हुए हैं .. मैं सोच रहा था ..
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