shabda-sankalan
Sunday, June 5, 2011
मैं सोच रहा था ..
शारीरिक अपंगता – कहीं सचाई हो सकती है .. लेकिन ..
मैं सोच रहा था ..
सचाई को वैसा का वैसा ही कह देने से ज्यादा अच्छा है कि उसे इस तरह से अभिव्यक्त किया जाय – शारीरिक अपूर्णता की स्थिति ..
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment