shabda-sankalan
Tuesday, November 30, 2010
मैं सोच रहा था ..
अंधेरा है / दिया तो है / और / दिये में तेल तो है / और / बाती भी है / लेकिन / वो / चिन्गारी / कहां से लाउं .. / मैं सोच रहा था ..
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