उसने कहा – मुझसे बेहतर कोई समीक्षक कोई दूसरा हो ही नहीं सकता .. ।
मैंने कहा – अवश्य .. आपसे बेहतर .. आप स्वयं के लिये .. कोई दूसरा हो ही नहीं सकता .. ।
मैंने आगे कहा – मैं आपकी प्रशंसा करता हूं .. वह इसलिये कि अपने स्वयं की समीक्षा करने वाले भी तो बिरले ही हैं ..
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