Wednesday, October 19, 2011

मैं सोच रहा था ..

क्यों होता है .. कुछ इस तरह से .. कि लोग पहले तो बातों को हल्के से लेते हैं और खूब मजाक उड़ाया करते हैं .. फिर वे खुल कर प्रतिरोध करते हैं ..
और फिर ..
इससे भी आगे निकलकर कभी झगड़ा भी करने लगते हैं .. और फिर
उसके बाद .. फिर करते हैं ..
स्वीकारोक्ति ..
मैं सोच रहा था ..
कि ..
चलो .. जो भी हुआ .. अच्छा ही हुआ
कि ..
जो भी होना था पहले ही हो गया ..
अंत भला तो सब भला ..

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