ज़िंदगी की
ये भी
एक हकीकत है ..
मैं सोच रहा था ..
Saturday, April 30, 2011
Thursday, April 28, 2011
कोशिश .. कि उसे भूल जाऊं ..
जो मैंने महसूस किया.. उसे लिख रहा हूं .. कि कई दफे कोशिश करके देख लिया कि उसे भूल जाऊं .. लेकिन यह भूल जाता हूं कि मुझे उसे भूलना है .. एक बात और भी है जो बताना नहीं भूलना चाहूंगा कि कई अरसा गुजर चुका है उसका नाम मैंने नहीं लिया है .. लेकिन वह है कि यादों में गहराई तलक समाहित है .. । एक बात है जो मुझे बहुत सुकून देती है कि यादों की कोई खिड़कियां नहीं होती कि कोई ताक-झांक कर ले ..
Wednesday, April 27, 2011
मुझे अच्छे नहीं लगते सपने ..
Monday, April 25, 2011
मैं सोच रहा था ..
Sunday, April 24, 2011
मैं सोच रहा था ..
रोज-रोज की बात ..
Tuesday, April 19, 2011
एक कविता ..
इस चित्र की तरह ..
कई-कई जटिल स्थितियां .. गड्डमगड .. कुछ समझ नहीं आ रहा था .. इस चित्र की तरह ..
एक बात लेकिन गौर करने की है कि कई जटिल रेखाएं एक दूसरे से कुछ इस तरह से जुड़ी हैं कि जैसे कोई तारतम्य हो उनमें आपस में ..
कि जब किसी एक रेखा का रंग बदलने का प्रयास करो तो सारी रेखाएं एक साथ अपना रंग बदल देती हैं .. जैसे किसी दिशा में आगे बढ़ा कोई कदम .. किसी जटिलता के स्वरूप को बदल रहा हो ..
एक बात लेकिन गौर करने की है कि कई जटिल रेखाएं एक दूसरे से कुछ इस तरह से जुड़ी हैं कि जैसे कोई तारतम्य हो उनमें आपस में ..
कि जब किसी एक रेखा का रंग बदलने का प्रयास करो तो सारी रेखाएं एक साथ अपना रंग बदल देती हैं .. जैसे किसी दिशा में आगे बढ़ा कोई कदम .. किसी जटिलता के स्वरूप को बदल रहा हो ..
Saturday, April 16, 2011
अन्दर की बात ..
कभी .. कहीं .. लगता है कि जैसे शब्द अपर्याप्त हैं तो कभी ऐसा भी होता है कि रेखा और रंग अभिव्यक्ति की पूर्णता में सहायक प्रतीत नहीं होते .. फिर मैंने एक ही विषय पर .. शब्द रेखा और रंग .. सभी को मिलाकर देखा ..
मैंने सपने में देखा ..
कल ही की तो बात है .. मैंने सपने में देखा .. मछलियां हवा में उड़ रहीं थी और पक्षी पानी में तैर रहे थे ..
सपने में मुझे उड़ती मछलियों की संख्या कम दिखाई दीं और तैरते पक्षी ज्यादा दिखे थे ..
ये स्वप्न कैसा था कि पेड़ और पहाड़ .. वैसे के वैसे थे .. सुबह उठकर फिर मैंने इमानदारी से .. जो सपने में देखा था .. वो बना दिया ..
Wednesday, April 13, 2011
मैं सोच रहा था ..
Tuesday, April 12, 2011
CONFUSION ..
प्रयास .. ऐसा भी होता है ..
Monday, April 11, 2011
मैं सोच रहा था ..
मैं सोच रहा था ..
बहस ..
इंसान महत्वपूर्ण है .. लेकिन इंसानियत सर्वोपरि है .. इसे पढ़कर .. इस बात पर बहस छिड़ गई कि सर्वोपरि इंसान है या इंसानियत या स्वास्थय या वक्त .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था .. कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि किसी भी बहस में मुझे शामिल नहीं होना चाहिये ..
Sunday, April 3, 2011
कर्म महत्वपूर्ण है .. ज्योतिष कदापि नहीं ..
आने वाले कल का कोई केवल अंदाजा लगा सकता हैं .. कोई भी व्यक्ति भाग्य-विधाता तो नहीं है .. और फिर आप ज्योतिष तो अपने आपको कहियेगा ही मत .. क्योंकि ऐसा कहते ही आपसे मेरा विश्वास उठ जायगा । ज्योतिष के बताए हुए नुस्खे आपको किसी परेशानी से निजात दिला दें .. यह केवल इत्तेफाक हो सकता है .. केवल संयोग हो सकता है .. । ज्योतिष आपका भाग्य नहीं बदल सकता । कर्म महत्वपूर्ण है .. ज्योतिष कदापि नहीं .. ।
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