shabda-sankalan
Tuesday, April 19, 2011
एक कविता ..
प्राकृतिक जंगलों में ..
दुम दबाकर भागते
और
छुपते ..
wild animals .. को देखकर ..
मैं सोच रहा था ..
कि
वे .. शायद
शहरी कंक्रीट के
जंगलों के
representatives
के
wild behaviour
से
घबराये
हुए थे ..
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