shabda-sankalan
Saturday, May 12, 2012
मैं सोच रहा था कि परिंदो का कौन सा धर्म होता होगा कि वे कभी उड़कर मंदिर पर तो कभी मस्जिद पर तो कभी उड़कर किसी चर्च पर तो कभी गुरद्वारे पर तो कभी किसी अन्य की मजहब की प्रार्थना-स्थली पर जा बैठते हैं ..
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