Wednesday, July 21, 2010

अभिव्यक्ति ..

हर चीज बोलती है .. इर्द-गिर्द .. और .. सर से लेकर पांव तलक .. हर तरफ .. सभी कुछ .. कभी कहीं कुछ तो .. कभी कहीं कुछ .. तो .. कभी बहुत कुछ .. बात दरअसल अपने-अपने चिंतन की है .. अपने-अपने रूचि की है .. किसी को पेड़-पौधे अच्छे लगते हैं .. प्रकृति अच्छी लगती है .. कोई इस पर काव्य-रचना करता है .. उसे कोई चित्रित करता है .. तो कोई पोट्रेट बनाता है .. कुल मिलाकर बात अपने-अपने रूचि की है .. देखने .. सुनने से लेकर चिंतन व उसके बाद .. अभिव्यक्ति तलक ।
मैं कैनवास पर चित्र बना रहा था .. मैं सोच रहा था .. फिर मैंने शाब्दिक अभिव्यक्ति का सहारा लिया .. मैं सोच रहा था .. मेरी रूचि किसमें है .. मैं सोच रहा था .. मुझे लगा कि वक्त बोलता है और अनुभूति व्यक्तिगत होती है .. और अभिव्यक्ति भी .. रूचि भी ..

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