Tuesday, October 12, 2010

12 अक्टूबर 2010, मंगलवार ।
आज बहुत दिनों के बाद, समय मिलते ही सोचा कि ब्लाग पर जाकर कुछ लिखूं क्योंकि जरूरी है लिखना इसलिये कि मुझे याद रहे और फिर कोई पढ़ता भी है मेरे ब्लाग को .. मुझे कोई महत्वपूर्ण नहीं लगता है यह मुद्दा .. क्योंकि यह मैं नहीं सोचता कि किसी को ब्लाग इसलिये लिखना चाहिये कि कोई पढ़े .. कोई पढ़ता है तो यह अच्छी बात है ।
मैंने चाहा है जो लिखना वो यह है -
कोई किसी की किस्मत को बदलने की प्रयास तो कर सकता है लेकिन बदलने में वह सफल ही होगा यह संभव नहीं है । जो घटनाएं घटनी हैं .. फिर चाहे वे सुखद हों या फिर दुखद .. यदि घटनी हैं तो स्थितियां व सोच उसी दिशा में चलने लगती हैं ।

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