Sunday, October 17, 2010

बातें ..

कोई बातों ही बातों में कह रहा था कि, मैं तो भगवान के सामने हाथ जोड़कर कभी भी कुछ नहीं मांगता हूं क्योंकि क्या मालूम मैंने जितना भी मांगा है भगवान मुझे उससे ज्यादा देना चाहते हों और फिर मैंने ज्यादा मांग भी लिया तो इससे क्या होता है .. उनको जितना देना है वो मुझे उतना ही तो देंगे .. वहीं कोई दूसरा भी था .. उसने कहा कि मैं तो कुछ इस तरह से सोचता हूं कि छोटे से बच्चे को भी मां, तभी दूध पिलाती है जब वह रोता है .. मैं उनकी बातें सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..

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